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मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

राम की मृत्यु ? - संजय अलंग

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राम! तुम तब भी नहीं मरे थे 
जब तुमने वनवासी आदिवासी 
शबरी से खाए थे जूठे बेर 
तब भी नहीं, राम
जब सबल और सप्रयास 
त्यागा था तुमने और 
किया था निष्कासित 
गर्भवती निज पत्नी सीता को 
झूठे आरोप में


राम! तुम तब भी नहीं मरे थे 
जब अंत्यज बाल्मीक ने 
लिखी रामायण और
पिरोया तुम्हे कथा में 
तब भी नहीं, राम
जब नए मत के सृजन पश्चात 
जातक में, बौद्धों ने 
माना था बोद्धिसत्व तुम्हे


राम! तुम तब भी नहीं मरे थे
जब विधर्मी अल-बदायुनी ने
कर दिया तुम्हारे आख्यान रामायण का
अन्य विधर्मी और विदेशी भाषा में अनुवाद
तब भी नहीं, राम
जब विदेशी हिन्देशियाईयों (इंडोनेशियाई) ने 
लिखी रामायण ककविन और 
कह डाला उसे, कथा अपनी


राम! तुम तब भी नहीं मरे थे
जब गैर-धर्म के प्रचारक फादर बुल्के ने 
किया तुम पर शोध गहन
तब भी नहीं, राम
जब अभिनय कर तुम्हारा 
उतारा गया सतरंगी फिल्म पर 

राम! 
जब तुम्हारे स्वयं के कार्य और 
कथित शूद्रों, विदेशियों, अधर्मियों के कार्य 
मार नहीं पाए तुम्हे
तो क्या राम, अब तुम
अपनों के द्वारा मारे जा रहे हो? 

या राम 
तुम तब ही मर गए थे
जब तुमने मानव रूप में 
नदी में डूब 
की थी आत्महत्या? 

क्या मानव होकर 
भू-लोक पर जन्म लेना 
इतना त्रासद है राम? 

तुम अब भी हो राम 
या पा गए निर्वाण?
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- संजय अलंग


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