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सोमवार, 28 जनवरी 2019

क्षण भर को क्यों प्यार किया था? -हरिवंशराय बच्चन


क्षण भर को क्यों प्यार किया था?

अर्द्ध रात्रि में सहसा उठकर,
पलक संपुटों में मदिरा भर
तुमने क्यों मेरे चरणों में अपना तन-मन वार दिया था?
क्षण भर को क्यों प्यार किया था?

‘यह अधिकार कहाँ से लाया?’
और न कुछ मैं कहने पाया -
मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था!
क्षण भर को क्यों प्यार किया था?

वह क्षण अमर हुआ जीवन में,
आज राग जो उठता मन में -
यह प्रतिध्वनि उसकी जो उर में तुमने भर उद्गार दिया था!
क्षण भर को क्यों प्यार किया था?
-हरिवंशराय बच्चन

6 टिप्‍पणियां:

  1. "मुखरित मौन में" बच्चन जी की ये रचना संकलित करने के लिए आभार .....सादर

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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