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मंगलवार, 29 जनवरी 2019

तुम्हारा होना-1 -जितेन्द्र श्रीवास्तव


तुम हो यहीं आस-पास
जैसे रहती हो घर में

घर से दूर
यह एक अकेला कमरा
भरा है तुम्हारे होने के अहसास से

होना
सिर्फ़ देह का होना कहाँ होता है !
-जितेन्द्र श्रीवास्तव

6 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन कल्पना.... उत्कृष्ट शाब्दिक प्रतिकृति....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार.....आदरणीय
      आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए

      हटाएं
  2. बहुत अच्छी.....

    यह एक अकेला कमरा
    भरा है तुम्हारे होने के अहसास से

    होना
    सिर्फ़ देह का होना कहाँ होता है !

    जवाब देंहटाएं
  3. सच है देह भौतिक है ... मन से सोच है ... मन से यादें हैं ...
    एक एहसास भरे भाव ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सच है देह भौतिक है ... सत्य कहा आदरणीय
      सादर आभार .....अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए

      हटाएं