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मंगलवार, 15 अक्तूबर 2019

एक बरस बीत गया

झुलासाता जेठ मास  
शरद चांदनी उदास  
सिसकी भरते सावन का   
अंतर्घट रीत गया  
एक बरस बीत गया  

सीकचों मे सिमटा जग  
किंतु विकल प्राण विहग  
धरती से अम्बर तक  
गूंज मुक्ति गीत गया  
एक बरस बीत गया  

पथ निहारते नयन   
गिनते दिन पल छिन  
लौट कभी आएगा  
मन का जो मीत गया  
एक बरस बीत गया

~ अटल बिहारी वाजपेयी


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