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शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

ऐ बादल! - श्रीप्रकाश शुक्ल

उतरो, उतरो, ऐ बादल!
जैसे उतरता है माँ के सीने में दूध
बच्चे के ठुनकने के साथ

हवाओं में सुगंध बिखेरो
पत्तों को हरियाली दो 
धरती को भारीपन 
कविता को गीत दो

ऐ आषाढ़ के बादल!
बीज को वृक्ष दो
वृक्षों को फूल दो
फूल को फल दो

बहुत उमस है
मेढ़क को स्वर दो
पखियारी को उडा़न दो
जुगनू को अंधेरा!

जल्दी करो, मेरे यार!
भूने जाते चने की तरह
फट रहे किसानों को  
अपनी चमक से
थोड़ी गमक दो
और थोड़ा नमक भी ।

- श्रीप्रकाश शुक्ल

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 10 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद

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