फ़ॉलोअर

गुरुवार, 9 मई 2019

कही सुनी पे बहुत एतबार करने लगे - वसीम बरेलवी

Related image
कही-सुनी पे बहुत एतबार करने लगे
मेरे ही लोग मुझे संगसार करने लगे

पुराने लोगों के दिल भी हैं ख़ुशबुओं की तरह
ज़रा किसी से मिले, एतबार करने लगे

नए ज़माने से आँखें नहीं मिला पाये
तो लोग गुज़रे ज़माने से प्यार करने लगे

कोई इशारा, दिलासा न कोई वादा मगर
जब आई शाम तेरा इंतज़ार करने लगे

हमारी सादा -मिजाज़ी की दाद दे कि तुझे
बग़ैर परखे तेरा एतबार करने लगे.

Image result for कही सुनी पे बहुत एतबार करने लगे / वसीम बरेलवी
- वसीम बरेलवी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें