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रविवार, 5 मई 2019

भूल जाओ वामन - नीलम सिंह

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नहीं काट सकते 
अतल में धँसी 
मेरी जड़ों को 
तुम्हारी नैतिकता के 
जंग लगे भोथरे हथियार
 
मत आँको मेरा मूल्य 
धरती आकाश से 
आकाश धरती से सार्थक है
 
तुम्हारे पाँव हर बार की तरह 
आदर्श का लम्बा रास्ता भूलकर 
मेरे अस्तित्व की छोटी पगडण्डी 
पर ही लौट आएँगे
 
अपना विस्तार,भूल जाओ वामन 
मेरी अस्मिता नापने में 
तुम्हारे तीन पग छोटे पड़ जाएँगे ।
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4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-05-2019) को "पत्थर के रसगुल्ले" (चर्चा अंक-3328) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (07-05-2019) को "पत्थर के रसगुल्ले" (चर्चा अंक-3328) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं