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शनिवार, 18 मई 2019

ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे - अदम गोंडवी

गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे
 क्या इनसे किसी कौम की तक़दीर बदल दोगे

 जायस से वो हिन्दी की दरिया जो बह के आई
 मोड़ोगे उसकी धारा या नीर बदल दोगे ?

 जो अक्स उभरता है रसख़ान की नज्मों में
 क्या कृष्ण की वो मोहक तस्वीर बदल दोगे ?

 तारीख़ बताती है तुम भी तो लुटेरे हो
 क्या द्रविड़ों से छीनी जागीर बदल दोगे ? 
- अदम गोंडवी


8 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 18/05/2019 की बुलेटिन, " मजबूत इरादों वाली अरुणा शानबाग जी को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (20-05-2019) को "चलो केदार-बदरी" (चर्चा अंक- 3341) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 22 मई 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. एट से बढकर एक शेरों से सजी लाजवाब गजल...
    वाह!!!

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