जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया
- जावेद अख़्तर
चित्र - गूगल से साभार
वाह्ह्ह जावेद साहब का कोई जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंउम्दा बेहतरीन।
वाह ! बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.... ,जावेद अख्तर जी के तो क्या कहने वो तो लाजबाब है ही
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत भाव ।
जवाब देंहटाएं"पाँच लिंकों का आनंद" में यह रचना साझा करने के लिए आभार .....सादर
जवाब देंहटाएंaapne kafi badhiya post likha hai Facebook Account Ka ID Password Kaise Hack Kare
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