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सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

तू जो मुझसे जुदा नहीं होता -गौतम राजरिशी


तू जो मुझसे जुदा नहीं होता
मैं ख़ुदा से खफ़ा नहीं होता

ये जो कंधे नहीं तुझे मिलते
तू तो इतना बड़ा नहीं होता

चाँद मिलता न राह में उस रोज
इश्क़ का हादसा नहीं होता

पूछते रहते हाल-चाल अगर
फ़ासला यूं बढ़ा नहीं होता

छेड़ते तुम न गर निगाहों से
मन मेरा मनचला नहीं होता

होती हर शै पे मिल्कियत कैसे
तू मेरा गर हुआ नहीं होता

कहती है माँ, कहूँ मैं सच हरदम
क्या करूँ, हौसला नहीं होता
-गौतम राजरिशी

10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. जी आभार....... सादर
      आपकी बहुमुल्य प्रतिक्रिया के लिए

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  2. तू जो मुझसे जुदा नहीं होता
    मैं ख़ुदा से खफ़ा नहीं होता...क्या खूब लिखा है। 👌👌👌

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    उत्तर
    1. जी आभार...... सादर
      अपनी सुंदर प्रतिक्रिया देने के लिए

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 6 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


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    उत्तर
    1. "पाँच लिंको के आनन्द में" यह रचना संकलित करने के लिए आभार.....जी सादर

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