फ़ॉलोअर

बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

उदास तुम - धर्मवीर भारती

Image result for उदास तुम कविता
तुम कितनी सुन्दर लगती हो
जब तुम हो जाती हो उदास !
ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खँडहर के आसपास
मदभरी चांदनी जगती हो !

मुँह पर ढँक लेती हो आँचल
ज्यों डूब रहे रवि पर बादल,
या दिन-भर उड़कर थकी किरन,
सो जाती हो पाँखें समेट, आँचल में अलस उदासी बन !
दो भूले-भटके सान्ध्य-विहग, पुतली में कर लेते निवास !
तुम कितनी सुन्दर लगती हो
जब तुम हो जाती हो उदास !

खारे आँसू से धुले गाल
रूखे हलके अधखुले बाल,
बालों में अजब सुनहरापन,
झरती ज्यों रेशम की किरनें, संझा की बदरी से छन-छन !
मिसरी के होठों पर सूखी किन अरमानों की विकल प्यास !
तुम कितनी सुन्दर लगती हो
जब तुम हो जाती हो उदास !

भँवरों की पाँतें उतर-उतर
कानों में झुककर गुनगुनकर
हैं पूछ रहीं-‘क्या बात सखी ?
उन्मन पलकों की कोरों में क्यों दबी ढँकी बरसात सखी ?
चम्पई वक्ष को छूकर क्यों उड़ जाती केसर की उसाँस ?
तुम कितनी सुन्दर लगती हो
ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खँडहर के आसपास
मदभरी चाँदनी जगती हो !
Image result for धर्मवीर भारती
- धर्मवीर भारती


4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 01 मार्च 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह्ह्ह.. अति मोहक..लाज़वाब सृजन..
    साझा करने के लिए अत्यंत आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  3. इतनी प्यारी कविता पढवाने के लिए हार्दिक आभार !
    यह चित्र आपने बनाया है ?
    उतना ही प्यारा है.

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह !बहुत सुन्दर रचना 👌
    सह्रदय आदरणीय इतनी प्यारी रचना पढ़वाने के लिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं