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रविवार, 20 जनवरी 2019

फिर कर लेने दो प्यार प्रिये -दुष्यंत कुमार

गूगल से साभार 
अब अंतर में अवसाद नहीं 
चापल्य नहीं उन्माद नहीं 
सूना-सूना सा जीवन है 
कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं 

तव स्वागत हित हिलता रहता 
अंतरवीणा का तार प्रिये ..

इच्छाएँ मुझको लूट चुकी 
आशाएं मुझसे छूट चुकी 
सुख की सुन्दर-सुन्दर लड़ियाँ 
मेरे हाथों से टूट चुकी 

खो बैठा अपने हाथों ही 
मैं अपना कोष अपार प्रिये 
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये ..
-दुष्यंत कुमार

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 22 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. "पांच लिंकों का आनन्द में" 'फिर कर लेने दो प्यार प्रिये' -दुष्यंत कुमार जी की रचना सम्मिलित करने के लिए आभार......सादर

      हटाएं
  2. दुष्यंत कुमार जी की लाजवाब रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. इच्छाएँ मुझको लूट चुकी
    आशाएं मुझसे छूट चुकी

    बेहतरीन रचना से अवगत करवाने के लिए धन्यवाद.

    स्वागत है ठीक हो न जाएँ 

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    उत्तर
    1. बहुत-बहुत आभार .......आदरणीय अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए

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  4. लेखन के शिखरों की किन शब्दों में सराहना की जाए -- आखिर सूर्य को दीपक दिखाना कहाँ उचित है ? सराहना से परे गेयता से भरपूर श्रृंगार रचना | नमन मूर्धन्य कवि दुष्यंत जी को |धन्यवाद रविन्द्र जी इतनी भावपूर्ण रचना का स्मरण कराने के लिए |

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    उत्तर
    1. जी सहृदय आभार .......आदरणीया
      लेखन के शिखरों की किन शब्दों में सराहना की जाए........सत्य कहा आपने
      सुस्वागतम .....जी

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