कोई हँस रहा है कोई रो रहा है
कोई पा रहा है कोई खो रहा है
कोई ताक में है किसी को है गफ़लत
कोई जागता है कोई सो रहा है
कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है
इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'
यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है
कोई पा रहा है कोई खो रहा है
कोई ताक में है किसी को है गफ़लत
कोई जागता है कोई सो रहा है
कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है
इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'
यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है
- अकबर इलाहाबादी
चित्र - गूगल से साभार
अजीब भूलभुलैया है ये जिंदगी ।
जवाब देंहटाएंउम्दा बेहतरीन ।
कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
जवाब देंहटाएंकोई बीज उम्मीद के बो रहा है
बहुत लाजवाब...
वाह!!!
कहीं नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
जवाब देंहटाएंकोई बीज उम्मीद के बो रहा है
सफ़र बदस्तूर चल रहा है ! वाह !
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत ग़ज़ल ...., जिन्दगी का फलसफा बयान करता सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 16 मार्च 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"मुखरित मौन में" इस रचना को संकलित करने के लिए आभार .....सादर
हटाएंवाह ! बेहतरीन 👌
जवाब देंहटाएंaapne kafi badhiya post likha hai Facebook Account Ka ID Password Kaise Hack Kare
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