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मंगलवार, 21 मई 2019

दिलबारो - गुलज़ार

बे चसे खानमोज कूर
डियै मे रुखसत म्याने भाई-जान’ओ

(बे चसे खानमोज कूर
डियै मे रुखसत म्याने भाई-जान’ओ)
बे चसे खानमोज कूर….

उंगली पकड़ के तूने
चलना सिखाया था ना
दहलीज़ ऊँची है ये, पार करा दे

बाबा मैं तेरी मल्लिका
टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
एक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे

मुड़के ना देखो दिलबारो
दिलबारो…
मुड़के ना देखो दिलबारो (x2)

फसलें जो काटी जायें
उगती नही हैं
बेटियाँ जो ब्याही जाए
मुड़ती नही हैं… (x2)

ऐसी बिदाई हो तो
लंबी जुदाई हो तो
दहलीज़ दर्द की भी पार करा दे

बाबा मैं तेरी मल्लिका
टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
एक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे

मुड़के ना देखो दिलबारो
दिलबारो…
मुड़के ना देखो दिलबारो (x2)

मेरे दिलबारो…
बर्फें गालेंगी फिर से

मेरे दिलबारो…
फसलें पकेंगी फिर से

तेरे पाँव के तले
मेरी दुआ चलें
दुआ मेरी चलें…

उंगली पकड़ के तूने
चलना सिखाया था ना
दहलीज़ ऊची है ये, पार करा दे

बाबा मैं तेरी मल्लिका
टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
एक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे

मुड़के ना देखो दिलबारो
दिलबारो…
मुड़के ना देखो दिलबारो (x2)

[कश्मीरी वोकल्स]

बे चसे खानमोज कूर
डियै मे रुखसत म्याने भाई-जान’ओ
बे चसे खानमोज कूर

मुड़के ना देखो दिलबारो
दिलबारो…
मुड़के ना देखो दिलबारो

- गुलज़ार

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार मई 24, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. गुलज़ार हमेशा लाजवाब होते हैं. इस बिदाई गीत में तो उन्होंने अमीर ख़ुसरो के कहे गीत -
    'काहे को ब्याही बिदेस' का सारा दर्द उड़ेल दिया है.

    जवाब देंहटाएं