रविवार, 10 मार्च 2019

मेरी भी आभा है इसमें - नागार्जुन

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नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है 
यह विशाल भूखंड आज जो दमक रहा है 
मेरी भी आभा है इसमें 

भीनी-भीनी खुशबूवाले 
रंग-बिरंगे 
यह जो इतने फूल खिले हैं 
कल इनको मेरे प्राणों मे नहलाया था 
कल इनको मेरे सपनों ने सहलाया था 

पकी सुनहली फसलों से जो 
अबकी यह खलिहाल भर गया 
मेरी रग-रग के शोणित की बूंदें इसमें मुसकाती हैं 

नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है 
यह विशाल भूखंड आज जो चमक रहा है 
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- नागार्जुन

चित्र - गूगल से साभार 


5 टिप्‍पणियां:

  1. बाबा की एक अनुपम कृति के लिए आभार ...

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  2. नागार्जुन की कृति...., अत्यन्त सुन्दर ।

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  3. बाबा नागार्जुन की कलम नहीं तलवार रही है।

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  4. पकी सुनहली फसलों से जो
    अबकी यह खलिहाल भर गया
    मेरी रग-रग के शोणित की बूंदें इसमें मुसकाती हैं ।

    अनुपम भाव लिये उत्कृष्ट रचना बाबा नागार्जुन जी को नमन।

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  5. उत्कृष्ट सृजन पढवाने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद...

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