बुधवार, 22 मई 2019

प्यासी आँखें - अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध

कहें क्या बातें आँखों की ।
चाल चलती हैं मनमानी ।
सदा पानी में डूबी रह ।
नहीं रख सकती हैं पानी ।।१।।

लगन है रोग या जलन है ।
किसी को कब यह बतलाया ।
जल भरा रहता है उनमें ।
पर उन्हें प्यासी ही पाया ।।२।।
     - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2019) को "आम होती बदजुबानी मुल्क में" (चर्चा अंक- 3345) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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