शनिवार, 27 अप्रैल 2019

एक पैगाम आकाश के नाम - नीलम सिंह

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आकाश ! 
कब तक ओढ़ोगे 
परंपरा की पुरानी चादर, 
ढोते रहोगे 
व्यापक होने का झूठा दंभ,
 
तुम्हारा उद्देश्यहीन विस्तार 
नहीं ढक सका है 
किसी का नंगापन 

छोड़कर कल्पना, 
वास्तविकता पर उतर आओ, 
भाई ! अपने नीले फलक पर 
इन्द्रधनुष नहीं 
रोटियाँ उगाओ।
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- नीलम सिंह


7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 30 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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