मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

तुम वहाँ भी होगी - चन्द्रकान्त देवताले

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अगर मुझे औरतों के बारे में
कुछ पूछना हो तो मैं तुम्हें ही चुनूंगा
तहकीकात के लिए

यदि मुझे औरतों के बारे में
कुछ कहना हो तो मैं तुम्हें ही पाऊँगा अपने भीतर
जिसे कहता रहूँगा बाहर शब्दों में
जो अपर्याप्त साबित होंगे हमेशा

यदि मुझे किसी औरत का कत्ल करने की
सजा दी जाएगी तो तुम ही होगी यह सजा देने वाली
और मैं खुद की गरदन काट कर रख दूँगा तुम्हारे सामने

और यह भी मुमकिन है
कि मुझे खन्दक या खाई में कूदने को कहा जाए
मरने के लिए
तब तुम ही होंगी जिसमें कूद कर
निकल जाऊँगा सुरक्षित दूसरी दुनिया में

और तुम वहाँ भी होंगी विहँसते हुए
मुझे क्षमा करने के लिए
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- चन्द्रकान्त देवताले


7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (25-04-2019) को "एक दिमाग करोड़ों लगाम" (चर्चा अंक-3316) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. गजब की रचना आखिर देवतले तो देवतले ही थे

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  3. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं