मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

इच्छाओं का घर - अंजना भट्ट

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इच्छाओं का घर--- कहाँ है?
क्या है मेरा मन या मस्तिष्क या फिर मेरी सुप्त चेतना?
 
इच्छाएं हैं भरपूर, जोरदार और कुछ मजबूर.
पर किसने दी हैं ये इच्छाएं?
क्या पिछले जनमों से चल कर आयीं
या शायद फिर प्रभु ने ही हैं मन में समाईं?
 
पर क्यों हैं और क्या हैं ये इच्छाएं?
 
क्या इच्छाएं मार डालूँ?
या फिर उन पर काबू पा लूं?
और यदि हाँ तो भी क्यों?
 
जब प्रभु की कृपा से हैं मन में समाईं?
तो फिर क्या है उनमें बुराई?
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- अंजना भट्ट


4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 06 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आभार आदरणीया सादर
      इस रचना को "मौन मुखरित में" सम्मिलित करने के लिए

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  2. जब सान्स्सें चलती हैं तो इच्छाओं का जमघट लगता है ...
    ते प्रेरित करती हैं जीवन को ...

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